"अब मैं सूरज को नहीं डूबने दूंगा
देखो,
मैंने कंधे चौड़े कर लिए हैं
मुट्ठियां मजबूत कर ली हैं
और ढलान पर एड़ियां जमाकर
खड़ा होना मैंने सीख लिया है.
घबराओ मत
मैं क्षितिज पे जा रहा हूं
सूरज ठीक जब पहाड़ी से लुढ़कने लगेगा
मैं कंधे अड़ा दूंगा
अब मैं सूरज को नहीं डूबने दूंगा.
रथ के घोड़े
आग उगलते रहें
अब पहिये टस से मस नहीं होंगे
मैंने अपने कंधे चौड़े कर लिए हैं.
अब मैं सूरज को नहीं डूबने दूंगा"
~ (सर्वेश्वर दयाल सक्सेना)
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