बुधवार, 7 जून 2017

सरकारों की वर्षगाँठे


जहाँ तक सरकारी नीतियों का सवाल है तो अगर सरकार की नीतियां सही हैं तो सरकार के तीन साल पूरे होने का जश्न जनता मनाएगी - सरकार नहीं। मध्यप्रदेश की ही बात लें कृषि विकास को लेकर सरकार ने सब पुरुस्कार बटोरे हैं और देश-दुनिया मे छाती पीटी है पर किसान का हो क्या रहा है कल देख ही लिया।

मेरे परिवार का एक सदस्य हटा में पिछले हफ्ते रात में बीमार पड़ा हटा छोड़ो दमोह (जिला) में भी इलाज नहीं हुआ फिर सागर में जाकर कुछ मिल सका। अपने उपक्रमों के कारण हम तो सम्पन्न हैं कि फटाफट गाड़ी किराये पे ली और दबा दी कहीं भी पर अंत्योदय का क्या होगा।

इसलिए कहता हूँ मित्रो पैसे कमाओ बीमार पड़ोगे तो निजी अस्पताल में इलाज कराना होगा और वहाँ पैसे लगते हैं - गाय या भारत माता का नाम बोलोगे तो बीमार शरीर को बाहर फेंक देंगे लेकिन क्रेडिट कार्ड, बीमा, दिखाओगे तो इलाज पाओगे।

ये आउटसोर्स सरकारें हैं जो शिक्षा, इलाज, परिवहन, रास्ते, व्यापार सब निजी क्षेत्र को आउटसोर्स किए हैं। तो सरकार का काम क्या है ये सोचने वाली बात है। शेयर बाजार 31000 हो चुका पर नौकरी नहीं हैं कंपनियों की अर्निंग काम हो रही हैं। तो हो क्या रहा है। कच्चा तेल के दाम इतना कम हो चुका है की पेट्रोल 50 का लीटर मिलना चाहिए।

एक सरकार दोषी नहीं है पर जो सिस्टम बदलने आये थे जिन्होंने सपने दिखाए थे कि देखो एक चुटकी बजाते ही सब हो जाएगा इसलिए इन पर दोष दिया जाता है।

ब्याज दरों के ऊपर नीचे करने से विकास ना होगा हालांकि इसके बिना भी ना होगा।

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